दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

दीपावली का त्यौहार: दीपावली (Deepawali) के त्यौहार को प्रकाश का पर्व (Festival of Lights) भी कहा जाता है क्योकि हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन प्रभु श्री राम, रावण का वध करके अयोध्या वापस आए थे।

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दीपावली के त्यौहार की मान्यता:

दीपावली क्यों मनाया जाता है?

प्रभु श्री राम को उनके पिता दशरथ ने माता कैकई के कहने पर 14 वर्ष का वनवास दिया था। जब श्री राम जी के वनवास का समय समाप्त हो गया तब वह अयोध्या वापस लौटते हैं। तो अयोध्यावासियों को अत्यंत खुशी होती है।और अयोध्यावासी श्री राम के प्रति अपना प्रेम और आभार दर्शाने के लिए पूरी अयोध्या को दीपों से जगमगा देते हैं कोई भी घर या स्थान ऐसा नहीं रहता जहां पर दीपक ना जलाए गए हो। पूरी अयोध्या श्री राम के वनवास से वापस लौटने पर आनंदमय हो जाती है तब से यह प्रथा चली आ रही है। हर साल लोग अपने घर और उसके चारो तरफ दीपों तथा मोमबत्तियां से प्रकाशमय कर देते हैं। ऐसे ही दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

जैन समुदाय की मान्यता:

DIWALI CELEBRATION

अगर जैन धर्म की बात करें तो जैन समुदाय के लोगों का मानना है कि इसी दिन महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी तथा स्वर्ग में देवताओं ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था तब से यह प्रथा लगातार चली आ रही है।

दीपावली का सांस्कृतिक महत्व:

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दीपावली का महत्व: दीपावली का महत्त्व इस श्लोक में छिपा है “असतो मा सतगमय,तमसो मा ज्योतिर्गमय” इस श्लोक का अर्थ है कि अंधकार से प्रकाश की ओर और असत्य से सत्य की ओर वास्तव में हर इंसान को असत्य से सत्य की ओर जाने का प्रयास करना चाहिए।

दीपावली का सांस्कृतिक महत्व यह है की दीपावली अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का एक साधन है असल में यह यात्रा इंसान को खुद करनी होती है दीपावली तो एक संकेत है।

दीवाली (Diwali) प्रकाश उत्सव है प्रकाश हमें बहुत कुछ सिखाता है प्रकाश ही मनुष्य को सत्य की ओर ला सकता है और अंधकार मनुष्य को असत्य की ओर धकेल सकता है हमें सदैव वास्तविकता में जीना चाहिए जो लोग कल्पना यानी अंधकारमय जीवन जीते हैं वह लोग जीवन में सफल हो इसकी कोई संभावना नहीं होती।

दीपावली का अर्थ?

दीपावली का अर्थ है “पंक्ति में रखे हुए दीपक” दीपावली संस्कृत शब्द “दीपावलिः” का संधि विच्छेद है

दीपावलिः = दीप + आवलिः

यहाँ दीप का मतलब दीपक से है वही आवलिः का मतलब पंक्ति से है।

दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है?

दीपावली का त्यौहार कई त्योहारों को अपने साथ लता है और यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली से 1 दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन लोग कोई न कोई नई वस्तु खरीदते हैं इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। तथा दीपावली के एक दिन बाद भाई दूज त्यौहार मनाया जाता है इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उन्हें मिठाई खिलाती हैं।

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ये त्यौहार भारत मैं सदियों से चले आ रहे हैं यह हमारे देश की संस्कृति का एक हिस्सा है अमीर हो चाहे गरीब हो चाहे किसी भी धर्म या मजहब के हो सभी लोग आपस में मिलजुलकर दीपावली का उत्सव मनाते हैं और एक दूसरे को मिठाईयां भी बांटते हैं।

दीपावाली की विशेषता:

दीवाली के समय पर वातावरण में एक अजीब सी महक खुल जाती है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के चेहरे पर खुशी होती है तथा एक दूसरे के लिए सभी मंगल भविष्य कामना करते हैं बच्चों के लिए यह त्यौहार और भी मनोरंजक होता है उन्हें अच्छी-अच्छी मिठाईयां, पकवान खाने को मिलते हैं तथा पटाखे छुड़ाने को मिलते है जिससे उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता।

दीपावाली-की-विशेषता

शाम को लक्ष्मी और गणेश पूजा के समय परिवार के सभी लोग मिलकर भगवान की आराधना करते है। तथा साथ में बैठकर उनकी आरती करते है। जिससे वातावरण में शान्ति की एक महक फ़ैल जाती है सभी लोग अपनों से बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते है। घर के बड़े बुजुर्ग दीपावली के दिन रामायण का पाठ करते है।

विज्ञान की दृष्टि से दीपावली:

विज्ञान की दृष्टि से दीपावली दोनों तरह से सर डालती है। जहां एक तरफ खुले में दीपक जलाने से वह छोटे छोटे कीड़ों को आकर्षित करता है।कीड़े दीपक,मोमबत्ती के संपर्क में आकर जल जाते है। वातावरण शुद्ध होने लगता है।

दीपावली के बाद पर्यावरण में फैले कीड़े नष्ट हो जाते हैं। तो वही दिवाली पर चलाए गए पटाखों से मौत और पर्यावरण दूषित हो जाता है जिससे कई दिनों तक प्राण वायु में कार्बन डाइऑक्साइड मिली रहती है जो सेहत के लिए बहुत हानिकारक है आए दिन पटाखों के कारण बहुत से लोगों को चोट भी पहुंचती है इनमे से ज्यादातर बच्चे है।

निष्कर्ष (उपसंहार):

दीपावली (Deepawali) का त्योहार हमें एक सीख देता है कि “सत्य की असत्य पर विजय हमेशा होगी” तुम असत्य की तरफ होगे तो हमेशा हारोगे और अगर सत्य की तरफ खड़े होंगे तो तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है अंधकार किसी को प्रकाश की ओर जाने से कभी रोक नहीं सकता। लेकिन प्रकाश हमेशा अंधेरे को मिटा देता है। यही जीवन का सिद्धांत है।

हम सदियों से दीपावली मनाते चले आ रहे हैं। और आगे भी मनाते रहेंगे।  हमें दीपावली का असली मतलब समझना होगा हमें दीपावली के दिन उन सभी चीजों से दूर रहना होगा जो हमारे समाज और हमारी पउन्नति के लिए हानिकारक है। हमारी वजह से प्रदूषण को बढ़ावा नहीं मिलेगा बुराई को बढ़ावा नहीं मिलेगा तथा जितना हो सके हम क्रोध को अपने नियंत्रण में रखेंगे तथा हिंसा ना करने की प्रण इसी दिन लेना होगा तब दीवाली का असली आनंद प्राप्त होगा।

FAQ Section

दीपावली का अर्थ क्या है ?

दीपावली का अर्थ है “पंक्ति में रखे हुए दीपक” दीपावली संस्कृत शब्द “दीपावलिः” का संधि विच्छेद

दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है?

दीपावली का त्यौहार हर साल “कार्तिक मास की अमावस्या” को मनाया जाता है।

दीपावली का सांस्कृतिक महत्व क्या है ?

दीपावली का महत्त्व इस श्लोक में छिपा है “असतो मा सतगमय,तमसो मा ज्योतिर्गमय” इस श्लोक का अर्थ है कि अंधकार से प्रकाश की ओर और असत्य से सत्य की ओर वास्तव में हर इंसान को असत्य से सत्य की ओर जाने का प्रयास करना चाहिए।

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